Saturday, October 16, 2010

राष्ट्रीय चरित्र से समुन्नत होता है राष्ट्र

के आधार पर हम कह सकते है की अमुक देश का सामान्य व्यक्ति अमुक परिस्थितियों मे अमुक प्रकार का आचरण अथवा व्यवहार करके चरित्र एक आंतरिक गुण है जिसकी अभिवयक्ति व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर होती है, हमारा व्यक्तिगत चरित्र जब राष्ट्रहित मे समाहित हो जाता है, तब वह राष्ट्रीय चरित्र के अभिधान को प्राप्त करता है, नोवालिस के शब्दों मे पुर्णतः शिक्षित इच्श्चा का नाम चरित्र है, यह चरित्र ही व्यक्ति की वास्तविकता होती है हमारा चरित्र हमारी सर्वोपरी आवयश्कता है, जो हमें सभी दिशाओ मे समुन्नत कर सकती है
राष्ट्रीय चरित्र से तात्पर्य उन व्यक्तिगत एवं सामूहिक विशेषताओं से रहता है जिन
अपने राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा करेगा उदाहरनार्थ-एक बार स्वामी विवेकानंद जापान मे रेल यात्रा कर रहे थे, वह फलाहार करते थे, एक स्टेशन पर उन्होंने फल खरीदने चाहे, परन्तु फल प्राप्त नहीं हो सके उन्होंने अपने एक शिष्य से कहा - अजीब बात है, यहाँ फलो का उपलब्ध होना, दो मिनिट बाद वह क्या देखते है की लगभग १५ वर्षीय एक किशोर ने फलो rसे भरी हुई टोकरी उनके सामने रख दी, यह कहते हुए- "लीजिये आपको फलो की आवयश्कता थी"tउसको फल विक्रेता समझकर स्वामी जी फलो का मूल्य पूछने लगे, उस बालक ने अत्यंत विन्रम भाव से कहा "आपको फल चाहिए, iवे हाजिर है, आप भारत वापस जाने पर कृपा करके यह कहे की जापान के रेलवे स्टेशन पर फल नहीं मिलते है" सचमुच अपने देश के सम्मान का ध्यान रखना चरित्र की विशेषता है
द्वितीय विश्वयुद्ध के मध्य एक बार इंग्लैंड के सैनिको के लिए चीनी की
आवयश्कता हुई देश मे चीनी का अभाव था शासन ने विज्ञप्ति की कि जिन व्यक्तियों के पास अतिरिक्त हो वे कृपा करके राशन के दफ्तर मे जमा करा दे, अगले ही दिन प्रात राशन के दफ्तर के सामने चीनी जमा करने वालो कि लम्बी लाइन लगी हुई थी अगले ही दिन इंग्लैंड के सैनिको के पास अपेक्षित मात्रा मे चीनी पहुँच गयी सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वाह राष्ट्रीयचरित्र का एक अत्यंत आवयश्क लक्षण है
इस परिप्रेक्ष्य मे हम यदि भारतवासियो के व्यव्हार पर विचार करेगें, तो हमको निराश ही होना पड़ेगा, भारत-चीन एवं भारत-पाकिस्तान के युद्धों के मध्य अनेक भारतवासिओं ने चीन एवं पाकिस्तान को तस्करी द्वारा भोजन सामग्री भेजी थी तथा जासूसी कि थी ऐतिहासिक दृष्टी से भारत मे विदेशी आक्रमणकारियो को भारतवासी ही आमंत्रित करते रहे है यानि चांदी के चंद टुकडो के लिए देशद्रोह करते हुए कुछ भारतीयों को तनिक भी संकोच नहीं हुआ यदि कोई व्यक्ति यह कहने लगे कि स्वार्थपरता एवं देशद्रोह भारत का राष्ट्रीय चरित्र है, तो हमको अपने दुर्भाग्य पर दो आंसू बहा लेने चाहिए, विदेशी प्राय: यह बात कहते है कि भारत जयचंदों एवं मीरजाफरो का देश है, इन्हें गुलाम बनाना बहुत आसन है, दूसरी और हमारे समाज मे प्रत्येक स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनैतिक आचरण को देखकर एक विदेशी पत्रकार ने लिखा था कि भारत के बारे लिखना अपराधियों के बारे मे लिखना है, हम स्वयं विचार करे किहम राष्ट्रीय चरित्र के नाम पर किस प्रकार कि छवि प्रस्तुत करते है?
आप विचारक "Smiles "के इस कथन से सहमत होंगे कि "Day light can be seen through small holes,so little thing will illustrate a person's character." अर्थात का प्रकाश छोटे छोटे छेदों से मे होकर देखा जा सकता है, इसी प्रकार व्यवहार कि छोटी-छोटी बातें व्यक्ति के चरित्र को प्रकट कर देती है उक्त सन्दर्भ मे हमको विचार करना चाहिए कि हमारा व्यक्तिगत आचरण राष्ट्र कि छवि को किस रूप मे उजागर करने वाला hai







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